कब और क्यों मनाते हैं वीर बाल दिवस, जानें दो साहिबजादों की शहादत का इतिहास ………

वीर बाल दिवस प्रत्येक वर्ष 26 दिसम्बर को मनाया जाता है, इस दिन सिख धर्म के 10th वे सद्गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के चार बेटों (साहिबजादों) को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है | मुख्य रूप से गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे बेटों, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतह सिंह के अभूत पूर्व बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है |

जोरावर सिंह और फतह सिंह  का जीवन परिचय ::

 

साहिबजादा जोरावर सिंह
    जन्म तिथि : 28 नवंबर 1696
    उम्र : 9 वर्ष
साहिबजादा फतह सिंह
   जन्म तिथि :25 फरवरी 1699
    उम्र : 6 वर्ष 
दोनों भाई बहुत ही कम उम्र में असाधारण कार्य और दृढ़ संकल्प के प्रतिक बन गए |

बलिदान की कहानी ::

1705 में आनंदपुर साहिब के किले की घेराबंदी मुगलों के द्वारा की गयी इसलिए गुरु गोविंद सिंह और उनके पूरे परिवार को आनंदपुर साहिब के किले से बाहर जाना पड़ा ,
पूरा परिवार अलग अलग ग्रुप मे बट गया जिसके कारण जोरावर सिंह और फतह सिंह अपनी दादी के साथ रह गए ,और बाकी पूरा परिवार से अलग हो गए |
जोरावर सिंह और फतह सिंह दादी माता गुजरी जी के साथ सिरहिद पहुचें ,
वहां पहुचने के बाद उन्हें मुगल बादशाह वजीर खान ने गिरफ्तार कर लिया |
धर्म परिवर्तन का दबाव :
वजीर खान के द्वारा गिरफ्तार होने के बाद जोरावर सिंह और फतह सिंह को सिख धर्म छोडकर इस्लाम धर्म स्वीकार  का दबाव बनाया गया |
लेकिन दोनों साहिबजादों ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया और अपने वचन पर अडिग रहे जिससे वजीर खान क्रोधित हो गए और उन्होंने जिंदा दीवार मे साहिबजादों को चिनवाने का आदेश दे दिया |
दोनों साहिबजादों ने इस अमानवीय अत्याचार का धैर्य पूर्वक और दृढ़ता के साथ सामना किया उन्होंने अपने धर्म और मानवता की रक्षा के खातिर खुद को बलिदान कर दिया , उनका त्याग न सिर्फ सिख धर्म के लिए अपितु पूरी मानवता के लिए मिसाल बन गया है |

फतेहगढ साहिब मे स्थित गुरुद्वारा मे साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया जो कि पूरे मानव समाज के लिए प्रेरणा का केंद्र है | हर साल 26 दिसम्बर को न सिर्फ सिख समुदाय के लोग अपितु अन्य धर्मों के लोग मिलकर साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं | साहिबजादों का बलिदान अदम्य साहस के एक अध्याय के रूप में दर्ज है |

महत्व :: 

वीर बलिदान दिवस न केवल स्मृति दिवस बल्कि यह बच्चों और युवाओ को साहिबजादों की तरह निडर और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है | 
उनका  बलिदान हमे यह सिखाता है कि धर्म और सिद्धांत का हमेशा पालन करना चाहिए चाहे कितनी ही विषम परिस्थितियां हो | 
इनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा |
भारत सरकार ने उनके अद्वितीय बलिदान को मान्यता देने के लिए 2021 मे घोषणा की कि हर साल 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा |

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